About sidh kunjika
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः
ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा ॥ १५ ॥
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा॥
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से विपदाएं स्वत: ही दूर हो जाती हैं और समस्त कष्ट से मुक्ति मिलती है। more info यह सिद्ध स्त्रोत है और इसे करने से दुर्गासप्तशती पढ़ने के समान पुण्य मिलता है।
श्री दुर्गा अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
श्री दुर्गा अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति पंचमोऽध्यायः
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्र सिद्धिं कुरुष्व मे॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः
हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।